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आलस कैसे दूर करें : 100% Practical तरीक़ा

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गुप्ता जी की बहुत दिनों से ख्वाहिश थी कि उनको खुदका धंधा  चालू करना हैं। इसके लिए उन्होंने थोड़े बहुत इनफार्मेशन और पैसा इकट्ठे भी कर लिए थे। अभी वो अपना धंधा चालू करने ही वाले थे, तभी उनका मन कहता हैं कि_ अरे ! जिंदगी चल ही तो रहा हैं काहे को ये सब पंगा लेना हैं। गुप्ता जी अपने मन चुनता हैं और अपने फैसले को वही पर टाल देते हैं।

digitalyodha के आज के इस पोस्ट में हम बात करने वाले हैं_ आलस कैसे दूर करें ? हम आलस के जड़ तक जाने की कोशिश करेंगे और आलस को दूर करने के practical solution देने की प्रयास करेंगे।

आलस कैसे दूर करें

कई बार क्या होता हैं कि हमें पता होता कि हमें क्या करना हैं और कैसे करना हैं। मगर जब काम को करने जाते हैं, या थोड़ा बहुत कर लेते हैं तब आलस हमारे ऊपर हावी हो जाता हैं। और हम काम को छोड़के कुछ और ही करने लग जाते हैं।

बहुत सारे लोग आलस दूर करने का मंत्र, आलस दूर करने का ज्योतिषीय उपाय, आलस दूर करने का दवा। इन सबके बारें में बात करते हैं। ये सबकुछ वकवास हैं, इससे आपकी जिंदगी में कभी भी सही इम्पैक्ट नहीं पड़ता।

कुछ लोग बात करते हैं आलस दूर करने के 10 tips, 20 tips, ये सब सुनने में अच्छा लगता हैं मगर आलस को जड़ से ख़त्म नहीं कर पाते हैं। वही पर कुछ जानकार आपको बता देगा कि आलस दूर करने के लिए एक प्लान बनाए, फिर उसमे स्टिक रहें। फिर एकबार ये सुनने में तो अच्छा लगता हैं। मगर ये कोई आलस को दूर करने का प्रैक्टिकल तरीका नहीं हैं।

हमें आलस क्यों आता हैं

 

दुनिया में एक सीधा सा रूल काम करता हैं _कारण और परिणाम (Cause and Effect) का। हमारे जिंदगी में या फिर इस दुनिया में जो भी परिणाम हमे दिखता हैं उसके पीछे कारण ज़रूर होता हैं।

आप किसी काम को करते करते bore हो जाते हो। boredom कारण नहीं हैं, ये परिणाम हैं। आप अगर boredom को ठीक करने में लग गए तो कभी आलस को जड़ से ख़त्म नहीं कर सकते। आलस को दूर करने के लिए आपको  कारण के ऊपर काम करना पड़ेगा।

हमारा दिमाग कैसे काम करता हैं _ seeking pleasure & avoid pain यानी हमारा दिमाग हमेशा मुश्किलों से भागता हैं और मज़े ढूंढ़ता रहता हैं।

शुरआत में आपको गुप्ता जी के बिज़नेस करने का एक्साम्पल दिया था। बिज़नेस करने के लिए मार्केटिंग सीखना होगा। इसके लिए books पढ़ना पड़ेगा, कोर्स करना होगा। हो सकता सकता हैं शुरआत में आपको लॉस भी उठाना पड़े। इसमें मजा नहीं हैं या फिर बिज़नेस में जो प्रॉफिट आएगा उससे मज़े करने में मज़ा हैं ? सिंपल सी बात हैं मज़ा तो प्रॉफिट में हैं।

ध्यान से समझना यहाँ पर एक बहुत बड़ा conflict  हैं। हमारे पास goals होते हैं। लेकिन उसके लिए हम जो भी करने वाले हैं उसका रिजल्ट आएगा बहुत समय बाद। इसकी कोई गारंटी भी नहीं हैं कि रिजल्ट आएगा कि नहीं। अगर हमको पता भी हैं कि रिजल्ट आएगा फिर भी उसमें कुछ साल लग जाएगा।

अगर एक व्यक्ति अपना यूट्यूब चैनल शुरू करता हैं। उसे पता हैं चैनल को ग्रो होने में 1.5 से 2 साल लग जाएंगे। 1.5 -2 साल तक उनको कुछ भी नहीं मिलेगा।

अब 1.5 to 2 साल तक बिना कुछ मिले मेहनत करने में मज़ा हैं या पॉपकॉर्न खाकर टीवी देखने में मज़ा हैं। instant pleasure पॉपकॉर्न खाकर टीवी देखने में ही हैं। इसलिए हमारा माइंड उसी काम को करना चाहेगा जिसमे हमे जल्दी मज़ा मिलता हो।

 

आलस दूर करने का Practical Solution

अब हम आलस के प्रैक्टिकल समाधान निकालने की प्रयास करते हैं। हमारे पास goals होते हैं, dreams होते हैं। मगर बहुत कम लोगों  के पास vision होता हैं। बहुत सारे लोगों का गोल्स unrealistic expectation के ऊपर आधारित होते हैं।

Dream Vs Vision

जैसे एक बिज़नेस शुरू करने के पहले दिन से ही हमारा ₹10000 का सेल आने लगेगा। अगर ऐसे लोगों एक हफ़्ते तक कोई सेल नहीं आएगा, तब बुरी तरह से demotivate हो जाएगा।

वही पर कुछ लोगों का vision बिलकुल clear होते हैं। जैसे अगर उनको बिज़नेस करना हैं तो सबसे पहले उनको मार्केटिंग सीखना होगा। फिर बहुत कम पैसा इन्वेस्ट करके बिज़नेस को स्टार्ट कर देना हैं। और वहा से भी सीखते जाना हैं। गलतियों सुधारते जाना हैं। इस हिसाब से बिज़नेस को बहुत बड़े लेवल तक लेकर जाएंगे। और उनको अपने ऊपर पूरा भरोशा होता हैं कि मैं हर हाल में इसे कर सकता हूँ। चाहे इसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े।

जब इसप्रकार से आप विज़न को देख पाते हो, तब माइंड में कुछ ऐसे कैमिकल रिलीज़ होना स्टार्ट होता हैं जो आपको आलस करने ही नहीं देता।

Pain और Pleasure का सही इस्तेमाल

आपको काम करने में pain होता हैं इसलिए आपका माइंड आपको इससे दूर ले जाता हैं। मगर आप pain को सही तरीक़े से इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आप ऐसे सोचते हो कि आपको काम करने में जो pain होगा उससे कोई गुना ज़्यादा pain काम को नहीं करने की वज़ह से फ्यूचर में होने वाला हैं।

अगर इसप्रकार से अपने माइंड को सुझाव दे पाते हो तब आपका माइंड आपको आलस करने के लिए नहीं रोकेगा।

 

आपको जब goal से रिलेटेड काम करने में आलस आता है, तब कही न कही आप कोई दूसरा काम करने लग जाते हो जिसमें आपको मज़ा आता हैं। मगर वही पर आप ये सोच पाते हो कि आपको अभी जो फ़ालतू काम करके थोड़ा मज़ा आने वाला हैं। उससे कोई गुना ज़्यादा आपको goal को achive करने के बाद आने वाला हैं। ये बात सौ प्रतिशत सही होना चाहिए। अगर आपका माइंड इसको क्लियर तरीके से देख पाता हैं, तब माइंड के अंदर कुछ ऐसे कैमिकल रिलीज़ होना स्टार्ट हो  जाएगा। जो आपको आलस करने ही नहीं देगा।

 

काम को interesting बनाए

कुछ काम आपके लिए boring होते हैं। आपको काम में मज़ा नहीं आता हैं। लेकिन उसको आप इंटरेस्टिंग बना सकते हो। जैसा की अच्छे क्रिकेट खेलने के लिए आपको क्रिकेट सीखना पड़ेगा। एक शॉट सीखने के लिए आपको हज़ार बार उसकी प्रैक्टिस करना पड़ेगा। हज़ार बार एक शॉट को रोज दोहराना काफी boring हैं। इसको अगर आप अपने friend के साथ चैलेंज के हिसाब से करते हो। तब दोनों ही इसे मज़े-मज़े में कर लोगे और आसानी से सीख जाओगे।

 

Conclusion

हमलोगों का बेसिक psychic हैं कि हमें सबकुछ बैठे बैठे मिल जाए। उसके लिए हमें कुछ करना न पड़े। ऊपर जो भी बातें हमने किया हैं, इसे समझने के लिए हमारे अंदर self respect होने चाहिए। अगर आपने इस पोस्ट को यहाँ तक पढ़ा हैं, तो मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि आपके अंदर self respect हैं। और आप आलस के कारण को अच्छे से समझ सकते हो। कारण  के ऊपर काम करके आप आलस को जड़ से ख़त्म कर सकते हो।

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