स्टार्टअप क्या हैं: कैसे एक StartUp की शुरआत होती हैं?

एक दिन हम gully में क्रिकेट खेल रहें थे। ऐसे में हमारा बॉल खो गया। बहुत देर तक ढूंढ़ने पर भी हमें बॉल नहीं मिल रहा था। ऐसे में मेरे दिमाग में एक आईडिया आया क्यों न बॉल के अंदर कोई GPS वाली चिप लगा दिया जाए, जिसे हम अपने फ़ोन से ट्रैक कर सके। इससे बॉल को हम चुटकियों में ढूंढ सकते हैं।

Digitalyodha के एक शानदार पोस्ट में आपका स्वागत हैं। इस पोस्ट के जरिये हम आपको स्टार्टअप क्या हैं ? इसको एकदम आसान भाषा में उदाहरण के साथ समझाने वाले हैं।

एक स्टार्टअप का मतलब होता हैं – Human या फिर Society के प्रोब्लेम्स को प्रॉफिटेबल तरीक़े से सॉल्व करना।

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आपने कोई प्रॉब्लम देख लिया जो बहुत लोगों का हैं। अब आपको देखना हैं उसे आप Goods, Service या फिर कोई Experience ऑफर करके सॉल्व कर सकते हो। या फिर इसका कॉम्बिनेशन बनाकर अच्छे से सॉल्व कर सकते हैं। कुल मिलाकर 10 एंटिटिस के ऊपर मार्केट किया जा सकता हैं।

स्टार्टअप करने के लिए सबसे पहले आपको लोगों के प्रॉब्लम या फिर मार्केट के need को देखना हैं। और उसे प्रैक्टिकल तरीक़े से सॉल्व करने को देखना हैं।

ऐसा नहीं होना चाहिए कि – बारिश की पानी waste होते रहते हैं। इसको सॉल्व करने के लिए आप सोचते हो कि एक उल्टा छतरी बनाया जाए। इससे लोग अपने छतरी पर जमा होने वाले पानी को save करके कही पर आसानी से रख सकता हैं। _ भाई साहब ये एक Unrealstic Expectation हैं। बारिश में पानी भरा हुआ उलटी छतरी उठाने के लिए लोगों के अंदर इतना ताकत नहीं हैं।

अब स्टार्टिंग के अंदर हमने आपको जो एक्साम्प्ल दिया था। क्रिकेट बॉल वाला। वो भी एक unrealstic एक्सपेक्टेशन जैसा ही था। मगर हो भी सकता हैं। भारत विकास कर रहा हैं। कोई टेक्नोलॉजी को अच्छे से समझने वाला बंदा अगर बॉल में कोई जीपीएस वाली चीप लगा दे और मोबाइल का कोई एप्लीकेशन बना। जिससे एकबार बॉल को ढूंढ़ने से 2 रूपए कट्टा हो। मगर हमे नहीं लगता हैं कि ये मार्केट उतना बड़ा हैं। बड़े मार्केट में ही बड़ा धंधा किया जा सकता हैं।

बहुत मजाक कर लिया अब एक प्रैक्टिकल आईडिया के तहत स्टार्टअप को अच्छे से समझने का प्रयास करते हैं।

जैसा की आप जानते हैं प्लास्टिक हमारे पर्यावण के लिए हानिकारक हैं। और प्लास्टिक से खाना खाने वाले डिशेस बनते हैं। हर रोज पुरे दुनिया में इसका बहुत ज्यादा इस्तेमाल होते हैं। इससे environment को बहुत ज्यादा नुकसान पहुँचता हैं।

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अब आपने दिमाग लगाकर कैले के पत्ते (Banana Leaf) से खाना खाने वाले डिशेस बना देते हो। जिसकी क्वालिटी बिलकुल प्लास्टिक वाले जैसा ही हो। उसका अच्छे तरीके से मार्केटिंग करके अपना एक तगड़ा ब्रांड बना देते हो। इसप्रकार के प्रैक्टिकल प्रॉब्लम को प्रैक्टिकल तरीक़े से सॉल्व करके आप स्टार्टअप की शुरआत कर सकते हो।

StartUp Vs Business

स्टार्टअप और बिज़नेस के बीच में ज़्यादा फ़र्क नहीं हैं। बस इतना सा ध्यान रखने वाली बात हैं कि_ हर स्टार्टअप एक बिज़नेस हैं, मगर हर बिज़नेस एक स्टार्टअप नहीं हो सकता। 

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जैसा कि MBA Chaiwala – प्रफुल बिल्लौरे भाई। उन्होंने चाय बेचने से शुरू किया। मगर उन्होंने अपना विज़न काफी बड़ा रखा। और अपने धंधे में काफी सारे नए-नए मार्केटिंग के टैक्टिस खेलते गए। इस वजह से वो आज पुरे दुनिया में अपना आउटलेट खोलते जा रहे हैं। ये एक स्टार्टअप हैं।

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वही पर बहुत सारे चायवाले रोडसाइड पर पहले से भी चाय बेच रहे हैं। वो अपने जगह पर काफी अच्छा धंधा भी कर रहे हैं। मगर उनको आप नहीं जानते हो। वो अपने जगह पर ही सीमित हैं। इसमें कोई बुराई नहीं हैं। मगर ये एक स्टार्टअप नहीं हैं, ये एक नार्मल बिज़नेस हैं।

Conclusion

इस पोस्ट के जरिये हमने आपको स्टार्टअप क्या हैं? इसको एकदम प्रैक्टिकल तरीके से आसान भाषा में समझाने की प्रयास किया हैं। स्टार्टअप करने का मतलब बिज़नेस करना ही हैं। बस यहाँ पर लिमिटेड नहीं ग्रोथ माइंडसेट के साथ काम किया जाता हैं।

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