हममें से सभी लोग एक सवाल का जवाब हमेशा जानना चाहते हैं। अब ये सवाल हैं – हमेशा मोटिवेटेड कैसे रहें ? Well आज के इस पोस्ट में हम इसके ऊपर ही कुछ प्रैक्टिकल बातें करने वाले हैं, जिससे हमको ये समझमे आए कि हम ऐसा क्या कर सकते हैं, जिससे हम हमेशा मोटिवेटेड रहें।
digitalyodha के एक और नए पोस्ट में आपका स्वागत हैं। जैसा कि आपको पता ही हम हमेशा आपके लिए valuable content ही लेकरके आते रहते हैं। इस पोस्ट में भी आपके लिए बहुत अच्छी जानकारी लेकर आया हूँ। ये आपको अपने जिंदगी में बहुत ज़्यादा मदद करने वाला हैं।
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Motivation का मतलब हमेशा, हर वक़्त कुछ करते रहना नहीं हैं
अगर आप ये सोच रहे हो कि आपका जो भी goal हैं, उसके लिए काम करने के लिए आपका एनर्जी हमेशा, यानी 24×7 एक जैसा ही बना रहे। तो ये आपका एक unrealstic expectaation हैं।
आपने मूवीज के अंदर ये ज़रूर देखा होगा कि – मीटर के अंदर जिन्दा आदमी का लाइन में उतार-चढ़ाव होता रहता हैं। और मुर्दे आदमी का लाइन सीधा होता हैं।
ठीक उसी तरह जब तक आप जिन्दा हो, तब तक आपके Energy, Emotion, Feeling इन सबके अंदर भी उतार-चढ़ाव होता ही रहेगा। कभी आपको काफी बुरा फील होगा, वही कभी आपको एकदम अच्छा फील होगा। दोनों ही situation कभी हमेशा के लिए नहीं रहने वाला हैं।
आपको बस इसे एक्सेप्ट कर लेना हैं। इससे जितना दूर भागने की कोशिस करोगे, ये आपको उतना ही सताएगा। आपको बस ये ध्यान में रखना हैं – बुरा फीलिंग भी निकल जाएगा और अच्छा फीलिंग भी हमेशा नहीं टिकेगा।
ज़्यादातर समय डाउन फील होता हैं: फिर हमेशा मोटिवेटेड कैसे रहें?
अब आपका सवाल हो सकता हैं कि – हमारा एनर्जी ज्यादातर समय डाउन ही रहता हैं। इसका जवाब क्या ? अगर आपका सवाल ये हैं तो इसका जवाब हैं – जब आप Down Feel करते हो, उस समय में आप क्या करते हो ये बहुत ज़्यादा इम्पोर्टेन्ट हैं। ये समय आपके लिए रेस्ट करने का बहुत अच्छा समय हैं।
वो आपने कहते हुए सुना भी होगा शेर सलांग मारने से पहले दो कदम पीछे लेते हैं। या फिर शिकार करने से पहले आराम करते हैं।
इसलिए जब आपको एनर्जी कम महशुश होती हैं, उस समय पर कुछ मत करों। मोबाइल को स्क्रोल करना भी बंद कर दो, ये भी आपके बहुत ज़्यादा एनर्जी को consume करते हैं। आप अकेले में बैठिए और बिना कुछ सोचे बस बैठे रहें।
अगर कोई विचार आकर आपके माइंड को टंग करता हैं, तो उसे माइंड के अंदर देखने की कोशिश करों। आपका माइंड ब्लेंक हो जाएगा। इसप्रकार से करने के बाद आपको बहुत ज़्यादा एनर्जी महशुस होगी।
Locus Of Control: आपको कौन कण्ट्रोल करता हैं? इसे पता करने आप हमेशा मोटिवेटेड कैसे रहें – ये जान सकते हो !
आपने देखा होगा कुछ लोग कैसा भी situation हो, वो अपने काम को लेकर ज़्यादातर समय motivated ही रहते हैं। वही पर कुछ लोगों को ऐसा भी देखा होगा कि उनका situation कितना भी अच्छा क्यों न हो, वो ज़्यादातर समय डेमोटिवटेड ही रहते हैं।
इसका कारण हैं – Locus Of Control. यानी आपके नियंत्रण का ठिकाना। सिंपल में बोले तो आपको कण्ट्रोल कौन करता हैं। Locus Of Control दो प्रकार के होते हैं।
- Internal Locus Of Control
- External Locus Of Control
चलिए इसको हम एक एक्साम्पल के तहत अच्छे से समझते हैं।
एक बार स्कूल के एक क्लास के बच्चों को दो ग्रुप में बाँट दिया गया। दोनों ही ग्रुप के बच्चों को कुछ Question दिया गया और उसे बुक से ढूंढ़ने को कहा गया। दोनों ही ग्रुप ने answer को जल्दी से ढूंढ कर दिखा दिया।
फिर एक ग्रुप के बच्चों को कहा गया- तुमलोग बहुत ज्यादा स्मार्ट हो, इंटेलीजेंट हो इसलिए तुमलोगों ने answer को काफ़ी जल्दी ढूंढ़कर दिखाया। वही पर दूसरे ग्रुप के बच्चों को कहा गया कि – तुमलोगों ने बहुत ज़्यादा मेहनत किया हैं, अच्छी तरीके से टीमवर्क किया हैं इसलिए answer को जल्दी ढूंढ पाए हो।
उसके बाद फिर दोनों ही ग्रुप को कुछ आसान और कुछ मुश्किल सवाल दिया गया। और फिर से उसे बुक से ढूंढ़ने को कहा गया। अबकी बार रिजल्ट थोड़ा अलग था।
जिस ग्रुप को कहा गया था – तुमलोग स्मार्ट हो। वे लोग आसान सवालों के जवाब भी काफी देर से ढूंढ पाया और कुछ मुश्किल सवालों के जवाब ढूंढ ही नहीं पाया।
वही पर जिस ग्रुप को कहा गया था – तुमलोगों ने मेहनत किया हैं, टीमवर्क किया हैं। वे न सिर्फ आसान सवालों के जवाब को ढूंढा बल्कि मुश्किल सवालों के जवाब को भी अच्छे से ढूंढ़कर दिखया।
इससे हमें क्या पता चलता हैं: हमेशा मोटिवेटेड रहने का राज़ !
जिन बच्चो को कहा गया, तुमलोग स्मार्ट हो। उनलोगों का Locus of control हो गया external. और बच्चों कहा गया तुमलोगों ने मेहनत किया हैं। उनलोगों का Locus Of Control हो गया Internal.
यानी जब हम अपने success इस faliure के लिए किसी External Fector को कारण मानते हैं। तब हमारा नियंत्रण खुद के हाथ में नहीं होता हैं। इसके वजह से हम ज़्यादातर समय Demotivated ही रहते हैं।
जब हम अपने success या faliure के लिए खुद को ही ज़िम्मेदार मानते हैं। तब हमारा नियंत्रण खुद के हाथ में ही होता हैं। इसके वजह से परिस्थिति जैसा भी हो इससे फ़र्क नहीं पड़ता हैं और हम अपने काम को लेकर ज़्यादातर समय मोटिवेटेड रहते हैं।
Conclusion
अगर आपको हमेशा मोटिवेटेड रहना हैं, तो अपने नाकामियों के लिए दूसरों दोष मारना बंद कर देना हैं और खुद को बेटर बनाने में फोकस करना हैं। ऐसा करने से आपका पूरा कण्ट्रोल आपके हाथ में आ जाता हैं। इससे आप हर परिस्थिति में ज़्यादातर समय मोटिवेटेड रहोगे।