आत्मसुझाव से जिंदगी बदले [ Auto Suggestion ]

बहुत सारे लोगों का कहना होता हमारे जिंदगी सबकुछ बुरा ही होता हैं। अगर वो कही पर जा रहे हैं और उसके आगे से बिल्ली पार हो जाते हैं, तब उनका मानना होता हैं कि आज उसके साथ कुछ बुरा होगा। और उसके साथ ऐसा होता भी हैं। पर बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं, जो हमेशा हसते-खिलते रहते हैं। हमेशा पॉजिटिव बाते करते हैं। और उसके साथ हमेशा अच्छा ही होते हैं। लेकिन ऐसा क्यों ? ये सबकुछ (Auto Suggestion) आत्मसुझाव की वजह से ही होता हैं। इस पोस्ट में आपको आत्मसुझाव की शक्ति के बारे में पता चलने वाला हैं। 

हमारे दो मस्तिष्क 

हमारे दो माइंड होते हैं। एक हैं (Conscious Mind) चेतन मस्तिष्क, दूसरा हैं (Subcoscious Mind) अवचेतन मस्तिष्क। चेतन मस्तिष्क से हमलोग सोचते हैं, कुछ सीखते हैं। अवचेतन मस्तिष्क से हम चीजों को ऐसे ही करते हैं हमें याद करने की जरुरत नहीं पड़ती, अपने आप हो जाते हैं। तो यहाँ पर आपको एक एक्सामपल से समझाता हूँ। 
आपने जब पहली बार साइकिल चलाना सीखा था, तो आपको काफी मेहनत करना पड़ता था, आपको बहुत ध्यान देना पड़ता था। लेकिन जब मेहनत करके आपने चार-पाँच बार चला लिया उसके बाद आपको ज्यादा ध्यान देने जरुरत नहीं पड़ा। आपसे अपने आप साइकिल चलाने जाने लगा। आपने पहले चेतन मस्तिष्क का इस्तेमाल करके साइकिल चलाना सीखा, उसकेबाद ये आदत में बदल गया यानी आपके अवचेतन मस्तिष्क में स्टोर हो गया और आप ऐसे ही साइकिल चलाने लगे।

आत्मसुझाव ( Auto Suggestion) क्या हैं 

आत्मसुझाव के अंदर वे सारे सुझाव और उद्दीपन आते हैं, जो हमारे पाँचो इन्द्रियों के माध्यम से हमारे दिमाग तक पहुँचते हैं। इसका सिंपल मतलब हैं स्वयं को दिया गया सुझाव। इससे हमारे चेतन मस्तिष्क और अवचेतन मस्तिष्क के बीच कनेक्शन बनता हैं।

अवचेतन मस्तिष्क को आत्मसुझाव कैसे दें 

आप अपने चेतन मस्तिष्क में जिन प्रवल विचारों को रहने की अनुमति देते हो, वो आत्मसुझाव की मदद से आपके अवचेतन मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं। इसका मतलब ये होता हैं, आप वही बन जाते हो, जो आप अंदर ही अंदर अपने बारे में सोचते हो। अगर आप अपने अंदर नकारात्मक विचार रखते हो, तो आपके साथ हमेशा बुरा होने के चांस बहुत बढ़ जाता हैं। आप अगर खुद को एक कमजोर, गरीब, दुखी इंसान मानते हो, तो जाने-अनजाने आप वैसा ही बन जाते हो। ठीक उसी तरह अगर आप अंदर अपने बारे में अच्छा सोचते हो, खुद को शक्तिशाली, अमीर मानते हो तो आप वैसा ही बन जाओगे।
अवचेतन मस्तिष्क एक बागीचे की तरह होता हैं। जिस तरह एक बगीचे की अगर सही देखभाल न किया जाए, बेहतर फसलों की बीज न लगाया जाए तो वहाँ अनुपयोगी पौधे अपने आप उग जाएंगे। ठीक उसी तरह अगर आप अपने अवचेतन मस्तिष्क को सही सोच प्रोवाइड नहीं करते हो, तो आपके अवचेतन मस्तिष्क में बुरे विचार अपने आप आ जाएंगे। 
भगवान ने इंसानों को अवचेतन मन को कण्ट्रोल करने की पूरी शक्ति दिया हैं। पर लोग इसका सही इस्तेमाल नहीं करते। आपके पास अपने अंदर कैसे विचार जाने देते हो, कैसे विचार रखते हो इसका पूरा अधिकार हैं। इसलिए हमेशा खुद को पॉजिटिव सोच दे, खुद को एक बेहतर इंसान के रूप में कल्पना करें। 

 

लोगों के साथ बुरा क्यों होता हैं 

आपके साथ हमेशा अच्छा ही हो, ये संभव नहीं हैं। मगर हमेशा आपके साथ बुरा ही होगा, ये भी संभव नहीं हैं। जैसा की हमने आपको स्टार्टिंग में बताया था बिल्ली रास्ता काटने से लोगों के साथ बुरा होता हैं। ये भी आत्मसुझाव की वजह से ही होता हैं। आप बचपन से ही सुनते आए हो, कि बिल्ली रास्ता काटने से हमारे साथ बुरा होता हैं। जैसे ही सड़क पर आपको बिल्ली दिखाई देते हैं, आपके चेतन मस्तिष्क, अवचेतन मस्तिष्क को ये सन्देश देता हैं आपके साथ बुरा होने वाला हैं। आपका बॉडी भी वैसे ही रियेक्ट करने लगता हैं और रिजल्ट में आपके साथ कुछ बुरा होता हैं। अगर आपके साथ थोड़ा सा भी कुछ होता हैं, उसको आप उसी से जोड़ देते हो। इसी तरह आपकी विश्वास और स्ट्रांग होता जाता हैं। 
लेकिन इस विश्वास को बदलने की क्षमता आपके अंदर हैं। क्युकी आप जो मानते हो आपके बॉडी वैसे ही रियेक्ट करता हैं। इसलिए अगर आपको आपको बिल्ली दिखता हैं, तो इसे नार्मल समझे। बिल्ली एक जानवर हैं, वो कही भी दिख सकता हैं। इससे हमारा क्या लेना-देना। आप जो करना चाहते हो उसके बारे में सोचिये। देखना आपके साथ अच्छा ही होगा।

 

आत्मसुझाव से जिंन्दगी कैसे बदले 

अगर आपको आत्मसुझाव से जिंदगी बदलनी हैं, तो इसकी आपको लगातार कुछ दिनों तक प्रैक्टिस करना पड़ेगा। आप कैसा गाने सुनते हो, कैसे लोगो के साथ रहते हो और कैसे सोचते हो इसका बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता हैं। हम दुसरो से तो ज्यादातर बात करते हैं, दुसरो की जिंदगी को समझने की प्रयास करते हैं मगर खुद के साथ कभी टाइम नहीं बिताते। आपको खुद को हमेशा याद दिलाना चाहिए कि “मैं एक शक्तिशाली इंसान हूँ , मैं हमेशा खुश रहता हूँ , मेरे साथ जो भी होता हैं सब अच्छे के लिए ही होता हैं, मैं हमेशा कुछ न कुछ सीखता रहता हूँ। “ जब आप इसप्रकार की बाते खुद को बताने लगते हो, तो अवचेतन मस्तिष्क इसको आदत बना देगा और आप वैसा ही बन जाओगे। इसप्रकार से आप खुद को सही आत्मसुझाव देकर अपनी जिंदगी बदल सकते हो।

 

इससे हम यही समझ सकते हैं कि हम हमारे भाग्य का निर्माता खुद ही हैं। दुनिया में इसलिए बहुत सारे लोगो के साथ बुरा होते हैं, क्योकि वो खुद को नेगेटिव सुझाव देते हैं। आपको हमेशा खुद को सही आत्मसुझाव देना हैं, खुद को जैसा आत्मसुझाव देते हो रिजल्ट वैसा ही मिलेगा। और जितना हो सके पॉजिटिव लोगों के साथ समय बिताना हैं। नेगेटिव लोगो के सोच से हमेशा दूर रहिए। आपकी जिंदगी जरूर बदलेगी।

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