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Marketing Environment in Hindi

marketing environment,

Digitalyodha के एक और शानदार पोस्ट में आपका हार्दिक स्वागत हैं। Core Marketing Concepts के ऊपर अबतक हम  आपके लिए 12 पोस्ट लिख चुके हैं। आज का हमारा टॉपिक हैं Marketing Environment. ये बिज़नेस या फिर मार्केटिंग का एक बहुत जरुरी टॉपिक हैं। तो एकबार फिर से अपना पूरा मन और दिल लगाकर इस पोस्ट को पढ़ने के लिए तैयार हो जाइए।

 

What is Marketing Environment

आप कोई सा भी काम करने के लिए जाओ, उसके लिए एक Environment होता ही हैं। उस Environment के अंदर काफी सारे चीजें आते हैं। ये Environment आपके काम के लिए जितना Suitable होगा, काम को आप उतने ही अच्छे से कर पाओगे। Marketing करने के लिए भी Environment होते हैं।

“The Marketing Environment consists of the Task environment and the broad environment”.

Marketing Environment, Task environment और Broad Environment को मिलाकारके गठित हैं। इसीको को बहुत सारे लोग Internal और Extarnal environment या फिर Micro environment और Macro Environment का भी दर्जा देते हैं।

 

The Task Environment in Marketing

“The task environment includes the actors engaged in Producing, Distributing, and promoting the Offerings”.

किसी Product या फिर Service की Production, Distribution और Promotion के अंदर जितने actor यानी कार्यकर्ता शामिल हैं, वो सब Task Environment के अंदर आते हैं।

इसके अंदर Company, Suppliers, Distributors, Dealers और Target Customer शामिल हैं। यही सब मिलकरके Marketing Environment के Task Environment को गठन करते हैं। इसके ऊपर जो भी मार्केटिंग करने वाली कंपनी हैं, उसका बहुत हद तक अपना कंट्रोल होता हैं। अगर उनको लगता हैं कि इसके अंदर कुछ गड़बड़ी हो रही हैं, तो वो इसमें बदलाव कर सकते हैं।

 

Task Environment Example

Supply chain वाले पोस्ट में हमने आपको बिस्कुट का एक्साम्पल दिया था। बिस्कुट बहुत सारे स्टेप्स से गुजरकरके आप तक पहुँचता हैं। बिस्कुट तभी सबसे अच्छा बनकर आपतक पहुंचेगा जब इसके टास्क एनवायरनमेंट के सभी कॉम्पोनेन्ट अच्छे से काम करेगा।

Suppliers के अंदर Matterials Supplier और Service Supplier आता हैं। अच्छा बिस्कुट बनाने के लिए सबसे पहले चाहिए अच्छा raw matterials.सबसे पहला सप्लायर तो यही हैं। उसके बाद फैक्ट्री में बने बिस्कुट को डिस्ट्रीब्यूटर तक ले जाने के लिए ट्रांसपोर्टेशन का इस्तेमाल होता हैं, ये हो गया सर्विस सप्लायर।

बिस्कुट बनाने वाले कंपनी भी होते हैं, जो अपने नाम से मार्केट पर बिस्कुट सेल करते हैं। अब कंपनी के अंदर बहुत सारे काम करने वाले लोग होते हैं, ये सब लोग जितने अच्छे से अपने काम को करेंगे। उतना ही कंपनी के लिए फायदा हैं।

इसके अंदर आपतक बिस्कुट को सक्सेस्फुली पहुंचाने वाले सब आते हैं। जैसा की wholeseller, आप जिस दूकान से बिस्कुट खरीदते हो वो सब।

अगर बिस्कुट की कंपनी को इनमें से कुछ भी फेक्टर के अंदर गड़बड़ी देखने को मिलता हैं, वो तुरंत इसे बदलकर उसे इम्प्रूव कर सकते हैं। मान लीजिये raw matterial सप्लाई करने वाले काफी ख़राब माल भेज रहा हैं, जिसकी वजह से बिस्कुट की क्वालिटी सही नहीं बन रही।  यहाँ पर कम्पनी दूसरे सप्लायर से अच्छा माल लेकर बिस्कुट की क्वालिटी को इम्प्रूव कर सकता हैं।

 

The Broad Environment in Marketing

 

अब हम लोग Broad Environment को अच्छे से समझते हैं। इसके ऊपर कंपनी का कोई कण्ट्रोल नहीं होता। इसलिए कपंनी अपने प्रोडक्ट या फिर सर्विस को Broad Environment का ध्यान रखकरके ही मार्केट पर उतारते हैं।

Broad Environment के अंदर कुल 6 component आते हैं। तो चलिए इन सबको एक -एक करके  समझते हैं, साथ में आपको कुछ छोटे-छोटे एक्साम्पल भी देते चलेंगे, ताकि आपको अच्छे से समझमें आए।

 

  Demographic Environment

 

इसके अंदर मुख्य तौर पर किसी एक जगह की जनसंख्या को देखा जाता हैं। जिसमे Population की संख्या, Growth rate, age, ethenic यानि जाति, Educational level, Household pattern शामिल हैं।

कुछ लोगों को लग सकता हैं, कि बहुत सारा लोग मतलब बहुत बड़ा मार्केट। लेकिन ऐसा नहीं हैं। लोगों के अंदर जब एजुकेशन और purchasing power होता हैं, तब ही मार्केट का गठन होता हैं।

Demographic Environment Example

मान लीजिए आपका कपड़ों का बिज़नेस हैं। आप लगभग सभी प्रकार के कपड़ो के ऊपर बिज़नेस करते हो। अब आप किसी एक नए जगह में अपने बिज़नेस को लांच करने जा रहे हो।

सबसे पहले आपको देखना होगा उस जगह में ज्यादातर लोग कितने उम्र के हैं। बच्चे ज्यादा हैं या बड़े, Male की संख्या ज्यादा हैं या Female की। इसको ध्यान में रखकर ही आपको वहा के मार्केट पर अपने प्रोडक्ट को उतारना होगा। अगर छोटे बच्चों की संख्या बहुत ज्यादा हैं, तो आपको बच्चों के कपड़ो पर ज्यादा ध्यान होगा।

उसके बाद आपको ये देखना होगा की वहा पर ज्यादातर कौनसे संप्रदाय के लोग हैं। मुस्लिम लोग ज्यादा हैं तो उनलोगों पसंद, हिन्दू वालों से अलग होगा। अगर पूजा – पाठ करने वाला बहुत ज्यादा होगा तो उनलोगों की पसंद भी अलग होगा।

आपको लोगों के एजुकेशनल लेवल को भी देखना होगा। एजुकेशन के हिसाब से भी लोगों का रहने-सहने की लेवल अलग अलग होता हैं।

उस जगह के फैमिली पैटर्न को भी आप देख लेते हो, तो आपके लिए मार्केट को समझना और भी आसान हो जाता हैं। अगर फैमिली में ज्यादा मेंबर होगा, तो उनलोगों की जरुरत छोटे फैमिली के मुकाबले थोड़ा अलग होगी।

 

Economic Environment

 

इसके अंदर किसी एक जगह की Consumer Phychology, Income Distribution आदि को देखा जाता हैं।

आपके कपड़े के बिज़नेस का ही एक्साम्पल लेते हैं। बिज़नेस लांच करने से पहले आप अगर उस जगह की ज्यादातर लोगों के मनोभाव को समझ लेते हो कि वो पैसा खर्चा करते समय कैसा सोचते हैं। हमेशा सेविंग करने को ही देखते हैं, या अच्छे प्रोडक्ट मिलने पर पैसे देने के लिए पूरी तरह से  तैयार होते हैं। अगर लोग हमेशा पैसा बचाने को देखते हैं, तो सस्ते प्रोडक्ट की डिमांड ज्यादा होगा और आप डिस्काउंट देकर सेल बढ़ा सकते हो।

 

  Social-cultural Environment

Culture और Society के हिसाब से लोगों की Want अलग अलग होती हैं। Need want demand पोस्ट में हमने इसको अच्छे से समझा था। इंडिया में कुछ किलोमीटर की दुरी पर ही कल्चर चेंज हो जाता हैं। कही पर लोग अदरख वाली चाय पीना पसंद करते हैं, कही पर लोग चाय में काली मिर्च डालकर पीना पसन्द करते हैं। किसी Cultur में लोग जल्दी शादी करते हैं, किसी cultur में लोग देर से शादी करते हैं।

 

आपको अपने कपड़ों के बिज़नेस को स्टार्ट करने से पहले, उस जगह की Society और Cultur को अच्छे से समझना होगा। Society के हिसाब से लोगो के पहनने के कपड़े बहुत हद तक डिसाइड होता हैं।

 

 

Natural Environment

 

आज कल पर्यावरण को लेकर हर कोई चिंतित हैं। इसलिए पर्यावरण बचाने के उद्देश्य से बहुत सारे नए-नए बिज़नेस भी स्टार्ट हो रहे हैं। जो बिज़नेस Environment को ध्यान में रखकर बिज़नेस करते हैं, या फिर वो एनवायरनमेंट को फायदा पहुंचाने वाले किसी प्रोडक्ट या फिर सर्विस पर काम कर रहे हैं तो  उसका सक्सेसफुल होने चान्सेस बहुत ज्यादा होता हैं।

किसी एक जगह में बिज़नेस स्टार्ट करने से पहले, उस जगह के natural environment को भी अच्छे से देखा जाता हैं।

मान लीजिए आप जिस जगह पर कपड़ो बिज़नेस लांच करने जा रहे हो, वहाँ बारिश बहुत ज्यादा होता हैं और साल के ज्यादातर दिन ठंडा ही रहता हैं, ऐसे में वहाँ पर गर्म कपड़ों की डिमांड ज्यादा होगा।

 

 

Technological Environment

दुनिया में हर दिन नयी – नयी टेक्नोलॉजी आते रहते हैं। नयी Technology आकर पुराने Technology को खत्म कर  देते हैं। Internet ने न्यूज़ पेपर, टेलीविशन के बिज़नेस को बुरी तरह से इफ़ेक्ट किया हैं। आज के समय पर blockchain जैसे टेक्नोलॉजी आ रहा हैं। जो बिज़नेस नए टेक्नोलॉजी को एक्सेप्ट नहीं करते, उसे अपने बिज़नेस से बुरी तरह से हाथ धोना पड़ता हैं।

 

आप जिस जगह पर कपड़ों का बिज़नेस लांच कर रहे हो, अगर वहा के लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं, तो आप उन्हें डिजिटल मार्केटिंग से भी टारगेट कर सकते हो।

 

Political-Legal Environment

 

हर देश के सरकार के कुछ नियम होते हैं। हर राज्य का भी कुछ नियम होते हैं। समय के साथ साथ सरकार नए नए नियम लागू करते हैं। बिज़नेस के लिए भी सरकार ने बहुत सारे नियम बनाके रखा हैं। इंडिया में अगर आप बिज़नेस करते हो और एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रोडक्ट सप्लाई करते हो तो आप GST रजिस्टर करना पड़ता हैं। सरकार के ये नियम बिज़नेस को कॉपी होने से बचाता हैं। जैसा की ब्रांड के लिए Trade mark रजिस्ट्रेशन होता हैं।

 

आप अगर खुद के XYZ ब्रांड के नाम से मार्केट पर कपड़े लॉन्च करते हो, और उसके लिए अपना ट्रेड मार्क रजिस्टर कर लेते हो, तो आपके ब्रांड को दूसरा कॉपी नहीं कर पायेगा। अगर कोई करने की कोशिश करता हैं तो आप उसमे क़ानूनी कार्यवाही कर पाओगे।

 

Conclusion

इस पोस्ट के जरिए मैंने आपको Marketing Environment को अच्छे से समझाने की प्रयास किया हैं। Task Environment के ऊपर मार्केटिंग करने वाले फॉर्म की कण्ट्रोल होता हैं। Broad Environment के ऊपर कोई कण्ट्रोल नहीं होता। इसलिए बिज़नेस को हमेशा ब्रॉड एनवायरनमेंट को अच्छे से स्टडी करके स्टार्ट करना ही अच्छा रहता हैं। उम्मीद करता हूँ आपको ये टॉपिक अच्छे से समझमें आया होगा। अभी भी आपके मनमे  कोई सवाल या सुझाव हैं, तो कमेंट करके जरूर बताना।

 

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