NIRMA in Hindi (Surf Excel) | Karsanbhai Patel की कहानी

Emotion यानी Energy in motion! जब किसी काम को करने के लिए आपकी energy मोशन में आ जाता हैं। तो दुनिया की कोई ताकत आपको उस काम करने से रोक नहीं सकता। एक ऐसी ही कहानी हैं Washing Powder Nirma की। Karshanbhai Patel जिन्होंने अपने Backyard में Chemical के साथ एक्सपेरिमेंट करके एक detergent powder बनाया और शुरआत में उसे साइकिल से लेजाकरके door to door सेल करते थे। फिर करसन भाई की इसी Nirma Brand ने मार्केट के बड़े-बड़े खिलाड़ी को टक्कर देते हुए Indian Detargent Powder Market के 60% Market Share capture कर लिया था।

DigitalYodha के एक शानदार और Inspiring पोस्ट में आपका स्वागत हैं। इस पोस्ट में आपको Washing Powder Nirma की कम्पलीट Case study बताने वाला हूँ। पूरा ध्यान लगाकर पोस्ट को पढ़ना क्युकी यहाँ आपको बिज़नेस की बहुत सारे learning भी मिलने वाला हैं।

 

Nirma के Founder – करसनभाई पटेल

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करसनभाई पटेल का जन्म 1945 में गुजरात के मेहसाना में हुआ था। पेशे से वो एक Chemist थे और Gujarat Government के Department of mining and geology में काम किया करते थे। करसनभाई शुरू से ही एक क्रिएटिव इन्सान थे, और हमेशा कुछ न कुछ नया Try करते ही रहते थे।

1969 में Karsanbhai ने अपने बैकयार्ड में कैमिकल के साथ एक्सपेरिमेंट करके एक Phosphate free synthetic detergent powder बना डाला। फिर यही डिटर्जेंट पाउडर हिन्दुस्तान के हर घर-घर तक पहुँचा।

 

karsanbhai patel ने साइकिल से निरमा बेचा था ,

 

शुरआत में करसनभाई nirma detergent को खुद से ही लोगों के घर-घर जाकर सेल करते थे। उनके घर से ऑफिस 15 किलोमीटर की दुरी पर थे। वो अपने साइकिल से ऑफिस आया-जाया करते थे। इसप्रकार से हर दिन वो 15-20 पैकेट डिटर्जेंट पाउडर सेल कर लेते थे।

 

Nirma नाम कहाँ से आया

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करसनभाई की एक बेटी थी, जिनकी नाम थी निरुपमा। बहुत ही छोटी उम्र में एक हादसे में उनकी मृत्यु हो गयी थी। पटेल जी अपनी बेटी से बहुत प्यार करती थी। इस हादसे ने उनको अंदर से बहुत ज्यादा छोट पहुंचाया था। मगर इसके बाद वो रोकरके बैठा नहीं रहा। उनका Energy  Motion में आ गया।

karsanbhai ने अपने बेटी के नाम से ही डिटर्जेंट पाउडर का नाम Nirma रख दिया।

 

 

Nirma ने Market Gap को कैसे पूरा किया

Marketing के अंदर 4 चीजें आते हैं, जिसको 4P’s of marketing कहते हैं। Product, Price, Promotion और Place.  इसमें से एक मुश्किल चीज़ हैं Price. बहुत सारे बिज़नेस अपने pricing stretegy के वजह से फ़ैल हो जाते हैं। लेकिन Nirma अपने  Pricing Stretegy की वजह से ही इतना आगे बढ़ गया।

करसनभाई ने सबसे पहले market gap को देखा। उस समय में HUL के Surf Excel की प्राइस थी ₹13 प्रति किलों। जिसे Lower Income वालें लोग afford नहीं कर पाते थे। वही पर करसनभाई ने निरमा की कीमत रखा था ₹3.50 प्रति किलों। करसनभाई के होमटाउन Ruppur में Nirma काफ़ी ज्यादा फेमस हो गया। और इसकी Demand बहुत ज्यादा बढ़ गया।

 

प्राइसिंग स्ट्रेटेजी और अपने प्रोडक्ट की क्वालिटी की वजह से Nirma ने 1988 तक Indian Detergent Powder Market के 60% Market Share हाशिल कर लिया। उस समय Nirma के Competetior थे HUL के सर्फ एक्सेल, जो अब चाहकरके भी निरमा के साथ कम्पटीशन नहीं कर सकता था। अब हिन्दुस्तान के लगभग सभी घरों में निरमा ही इस्तेमाल होने लगा था।

Surf Excel Brand ने Consumer के दिमाग में खुद को Premium Detergent के रूप में Positioning किया था। अब अगर प्राइस में गिरावट करता तो सर्फ एक्सेल के प्रति Consumer का perception ही चेंज हो जाता।

 

Nirma दिवालिया होने वाला था

इतने सफलता के वावजूद निरमा एकबार दिवालिया होने के कगार पर आ गया था। दरसल रिटेलर्स ने निरमा के साथ मनमानी करना शुरू कर दिए थे। वो अपने स्टोर से निरमा सेल तो कर रहे थे मगर पेमेंट देने में काफी देर लगा रहे थे। ऐसे में करसनभाई का Cashflow नेगेटिव में जाने लगा था। अगर जल्दी इसके ऊपर एक्शन नहीं लिया जाता तो निरमा Bankrupt ही हो जाता।

करसनभाई ने जल्दी ही इसका समाधान निकाल लिया। Market में निरमा की Full Demand थी, मगर फिर करसनभाई ने कुछ ऐसा किया जिसके बाद Market में निरमा की Overfull Demand हो गया।

पटेल जी ने मार्केट में जितने भी निरमा के स्टॉक थे, सबकुछ अपने पास बुलवा लिया। फिर Tv पर एक ad लॉन्च कर कर दिया – “दूध सी सफेदी वाशिंग पाउडर निरमा !” फिर क्या था ? मार्केट में हो गया धमाका।

 

Nirma tv advertisement,

 

हिन्दुस्तान के कस्टमर दूकानदार के पास जाकरके निरमा मांगने लगे। पर दुकानदार के पास देने के लिए निरमा हैं ही नहीं। ये देखकर Retailers की हवा टाइट हो गयी।

अब रिटेलर्स निरमा के लिए पहले पेमेंट करने को भी तैयार हो गया।

 

https://youtu.be/TdiBA5z_rmo

 

Nirma Market Share क्यों गिरा

हर प्रोडक्ट की एक लाइफ साइकिल होता हैं, जिसको PLC Concept भी कहते हैं। इसके अंदर मुख्य तौर पर 4 स्टेज आते हैं – Introduction, Growth, Maturity, Declining.

निरमा जहा पहले 60% मार्केट शेयर लेके बैठा था, अभी सिर्फ डिटर्जेंट पाउडर मार्केट के 6% मार्केट शेयर ही निरमा के पास हैं।

Economic Environment

Marketing environment बिज़नेस को हमेशा इफ़ेक्ट करता हैं। Broad environment के ऊपर Marketer की कोई कण्ट्रोल नहीं होता। निरमा के मार्केट शेयर गिरने का पहला कारण Economic Environment हैं।

पहले इंडिया का Per Capita इनकम बहुत कम था। सन 2000 तक per capita income 500 डॉलर से भी नीचे था। फिर धीरे – धीरे बढ़ने लगा। 2010 के बाद प्राइवेट सैक्टर में ग्रोथ आने की वजह से per capita income 1000 डॉलर को पार कर गया और ये तेजी से बढ़ता ही रहा।

निरमा ने कस्टमर के दिमाग में खुद को एक सस्ता ब्रांड के हिसाब से पोजिशनिंग किया था। भारत शुरू से ही एक स्टेटस ड्रिवेन सोसाइटी रहा हैं। जैसे ही लोगों की इनकम बढ़ी, वैसे ही लोगो की Purchasing Power भी बढ़ी। अब लोग निरमा को भूलने लगे और महंगे डिटर्जेंट पाउडर को अपनाने में लग गए।

 

Category Extention

निरमा साबुन ,

 

Nirma ने डिटर्जेंट के अलावा और भी बहुत सारे बिज़नेस में हाथ डालते गए। Education, Cement जैसे सेक्टर में भी बिज़नेस करना चालू कर दिया। बहुत सारे कंपनी को acquire भी कर लिया।

 

 

 

 

 

 

Nirma University,

 

  • 2003 में Nirma University की स्थापना हुई।
  • 2007 में निरमा ने अमेरिकी कच्चे माल की कंपनी Searles Valley Minerals INC. को ख़रीदा।
  • 2014 में निरमा Cement maufacturing करना शुरू कर दिया।
  • 2016 में निरमा ने Lafarge India’s Cement के संपत्ति को $1.4 Billion में acquired किया।
  • 2020 में निरमा ने Emami Cement को 5500 करोड़ में acquired कर लिया।

 

 

 

category extension करने में कोई बुराई नहीं हैं। निरमा ने इसमें सफलता भी पाई हैं। लेकिन हो सकता हैं इन सबपर ध्यान देने की वहज से निरमा को बदलते हुए एनवायरनमेंट के ऊपर ध्यान देने में देर हो गया।

Less Innovation

market में हमेशा बदलाव आता रहता हैं। आजकल टेक्नॉलजी तेज़ी से बढ़ रही हैं, पुराने बिज़नेस मॉडल आज काम नहीं करता। रोज नयी – नयी चीजें बन रही हैं और पुराने चीजे मर रही हैं।

निरमा ने अपने प्रोडक्ट इनोवेशन के वजह से ही सफलता पायी थी, लेकिन तब मार्केट का हाल अलग था। जब मार्केट में purchasing power बढ़ी तो निरमा ने इनोवेशन करने में देर लगा दिया। इसी वजह से निरमा का मार्केट शेयर तेजी से गिरने लगा।

 

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Nirma ने फिर बहुत Innovation करने की प्रयास किया, काफी सारे ad लॉन्च करते गए मगर आजके समय में मार्केट काफी जल्दी नया मोड़ ले रहा हैं, और मार्केट पर कॉम्पिटिटर भी बहुत सारे आ गए हैं।

 

Business Learning From Nirma

निरमा से आप बहुत सारे Business Lesson ले सकते हैं।

  • सबसे पहले ये कहानी हमे बहुत ज्यादा मोटीवेट करते हैं। अगर उस समय में कोई बन्दा साइकिल से डिटर्जेंट पाउडर बेचना शुरू करके मार्केट के बड़े प्लेयर को पीछे छोड़कर भारत के हर घर-घर में अपने प्रोडक्ट को फेमस कर सकता हैं, तो फिर आजके इंटरनेट के ज़माने में हम कुछ भी कर सकते हैं।
  • बिज़नेस को छोटे लेवल से शुरू करके बड़े लेवल तक ले जाया जा सकता हैं। इसके लिए बस निरंतर काम करते रहना होगा।
  • ब्रांड एकदिन में नहीं बनता। ब्रांड बनने कुछ साल लगता हैं। बिज़नेस में जब एकबार ब्रांड बन जाता हैं, तो प्रॉफिट बहुत ज्यादा आता हैं क्युकी लोग तब प्रोडक्ट नहीं ब्रांड ख़रीदते हैं।
  • Market में हमेशा बदलाव आता रहता हैं, इसलिए बदलते हुए Trend पर हमेशा नज़र रखना चाहिए।

 

FAQ

Q . Nirma के Founder के नाम क्या हैं ?

Ans – Karsanbhai Patel ( करसनभाई पटेल ).

Q. Nirma की स्थापना कब हुई थी ?

Ans – सन 1969 में।

Q. Nirma नाम कहाँ से आया ?

Ans – Nirupama से, जो करसनभाई की बेटी थी।

 

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