रिच डैड पुअर डैड के लेखक रॉबर्ट टी. कियोसाकी कहते हैं उनके दो पिता थे। एक अमीर, एक ग़रीब। एक उच्च शिक्षित और बुद्धिमान थे। वही पर दूसरे ने कभी आठवीं भी पास नहीं कर पाए। दोनों ही डैडी अपने करियर में सफल थे। दोनों ने ही जिंदगी भर कड़ी मेहनत की। दोनों ने ही काफी पैसे कमाए, मगर एक हमेशा आर्थिक परेशानियों से जूझता रहा। दूसरा आगे चलकर हवाई के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक बना।
ग़रीब डैडी उनके खुद के पिता थे। वही पर अमीर डैडी उनके बचपन के अच्छे दोस्त माइक के पिता थे।
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Important lessons from rich dad poor dad
रॉबर्ट टी. कियोसाकी की बुक रिच डैड पुअर डैड, वित्तीय शिक्षा के ऊपर लिखी गई अबतक की बेस्ट किताबों में से एक हैं। दुनिया भर में इसका 32 मिलियन से भी ज़्यादा कॉपी बिक चूका हैं।
इस पोस्ट में हम इसी बुक के कुछ इम्पोर्टेन्ट learnings के ऊपर बात करने वाले हैं।
rich dad poor dad Lesson No 1: अमीर लोग पैसे के लिए काम नहीं करते
गरीब और middleclass लोग पैसे के लिए काम करते हैं। अमीर लोग पैसे से अपने लिए काम कराते हैं।
हममें से ज़्यादातर लोगों की जिंदगी को डर और लोभ कण्ट्रोल करते हैं। ग़रीबी का डर लोगों से कड़ी मेहनत करवाता हैं और पैसे कमवाता हैं। एकबार जब उनके पास पैसे आ जाता हैं, लोभ के कारण वो उन तमाम चीजों के बारें सोचने लगते हैं जिसे वह उन पैसो से खरीद सकते हैं। इससे उन्हें और ज़्यादा पैसों की ज़रूरत महशुस होती हैं।लोगों की ये सिलसिला कभी ख़त्म नहीं होती हैं। इसी चीज़ को रिच डैड पुअर डैड बुक में चूहा दौड़ कहा गया हैं।
अगर आप अपने आस-पास के लोगों के जिंदगी को observe करोगे तो ज़्यादातर लोगों के साथ आपको ये समस्या ज़रूर देखने को मिलेगा कि उनको हमेशा पैसे की कमी महशुस होती हैं चाहे वो कितना ही ज़्यादा पैसा क्यों न कमा ले।
बहुत सारे लोगों को लगता हैं कि जब वो ढेर सारा पैसा कमाएगा, तब वो अमीर बन जाएगा। असल में ऐसा नहीं होता हैं, जैसे ही उनके पास पैसे आता हैं, वो तमाम उल्टे-पुल्टे चीजों में ख़र्चा करने लगते हैं।
ऐसी बात नहीं हैं कि डर सिर्फ ग़रीब लोगों को ही लगता हैं, अमीर लोगों को भी डर लगता हैं। सिर्फ़ पैसे से समस्या नहीं सुलझती हैं। पैसे के साथ-साथ आपके लिए सीखते रहना बहुत ज़रूरी हैं।
स्कूल हमारे लिए बहुत इम्पोर्टेन्ट हैं। लेकिन दिक़्क़त ये हैं कि ज़्यादातर लोग स्कूल को सीखने का शुरआत नहीं, अंत मानते हैं। जैसे ही उनका स्कूल ख़त्म होते हैं, तब वो सीखना छोड़ देते हैं और सिर्फ़ मज़े करने में व्यस्त हो जाते हैं।
अमीर लोग भी मज़े करते हैं मगर कभी सीखना नहीं छोड़ते।
अमीर लोग पैसे कमाने के तरीकों पर निगाह रखते हैं और हमेशा अवसरों को देखते हैं। जिस पल आप किसी अवसर को देखना सीख जाते हो तो आप जीवन भर अवसरों को देखने लगोगे।
rich dad poor dad Lesson No 2: Asset V/s Liability – संपत्ति और दायित्व के बीच का फ़र्क
रिच डैड पुअर डैड बुक से जो हमे एक इम्पोर्टेन्ट लेसन मिलता हैं, जिससे बहुत सारे लोगों झटका लगता हैं। वो हैं संपत्ति और दायित्व के बीच का फ़र्क।
जो चीज़े हमारे जेब से पैसे निकालते रहते हैं, उसे liability कहा गया हैं। जैसे कि –
- कार , लक्ज़री के चीज़, क्रेडिट कार्ड।
जो चीजें हमारे जेब में पैसे डालते हैं, उसे asset कहा गया हैं। जैसे कि –
- कंपनी के शेयर्स, अगर कोई घर लेकर आपने उसे रेंट पर चढ़ा दिया, आपका बिज़नेस।
ग़रीब और मिड्लक्लास mindset के लोग सबसे पहले liability ख़रीदते हैं। और उसे वह अपने asset मानते हैं। अमीर लोग भी liability खरीदते हैं, अपने शौक पुरे करते हैं। मगर सबसे पहले वो asset बनाने पर ध्यान देते हैं। और asset से होने वाले कमाई से शौक के चीजें खरीदते हैं।
आपके लिए सबसे बड़ा asset हैं आपकी learning. आपको कभी सीखना नहीं छोड़ना चाहिए। और asset बनाने के लिए आपके अंदर धैर्य होना बहुत जरुरी हैं।
rich dad poor dad Lesson No 3: सीखने का उल्टा पिरामिड
Passive Learning
- 10% सीखते हैं, जो हम पढ़ते हैं: जैसा कि आप कोई बुक पढ़ते हो।
- 20% सीखते हैं, जो हम सुनते हैं: जैसा की आप कोई कहानी या गाना सुनते हो।
- 30% सीखते हैं, जो हम देखते हैं: आप कोई एक इमेज को देखकर जो सीखते हो।
- 50% सीखते हैं, जो हम देखते और सुनते हैं: जैसा आप कोई वीडियो देखते हो, या फिर कोई चीज हकीकत में होता देखते हो।
Active Learning
- 70% सीखते हैं, जो हम कहते हैं: किसी टॉपिक के ऊपर जब आप दोस्त के साथ अच्छे से डिसकस करते हो।
- 90% सीखते हैं, जो हम कहते और करते हैं: जब आप दोस्त के साथ किसी काम के बारें में डिसकस करते हो और साथ में उसे छोटे लेवल पर करना स्टार्ट भी कर देते हो।
rich dad poor dad Lesson No 4: बाधाओं को पार करना
ज़्यादातर लोग स्टडी करके वित्तीय साक्षरता को तो सीख लेते हैं। मगर उसे रियल लाइफ में उतार नहीं पाते हैं।
ये बिलकुल इसप्रकार का हैं – स्कूल के क्लास के अंदर जब मास्टर जी एक बच्चे से कहता हैं, अभी मैंने जो बताया हैं। उसे आकर तुम समझा दो। फिर बच्चा कहता हैं। मास्टर जी – आपने जो बताया हैं, वो पता तो हैं लेकिन आपको बता नहीं पाता हूँ।
इसका मुख्य कारण 5 होते हैं –
- डर:
कोई भी पैसा गवाना पसंद नहीं करता। अमीर डैडी कहते हैं _ इन्वेस्टिंग के अंदर वही लोगो ने पैसा नहीं गवाया हैं, जिन्होंने कभी इन्वेस्टमेंट किया ही नहीं हैं। डरने में कोई बुराई नहीं हैं। हर व्यक्ति को डर लगता हैं। अमीर लोग डर का सामना करते हैं, वही पर ग़रीब माइंडसेट के लोग डर से दूर भागते हैं।
जब कोई मुश्किल आता हैं _ उसी मुश्किल से बहुत लोग बिखर जाते हैं। वही पर उसी मुश्किल से बहुत लोग निखर जाते हैं।
ज्यादातर लोगो के लिए पैसे गवाने का दर्द अमीर बनने की ख़ुशी से कही ज़्यादा होता हैं। इसलिए वो अपने अंदर के डर को पार नहीं कर पाते हैं।
- निराशावाद:
हमारे अंदर बहुत सारे self doubt होते हैं, या फिर हमारें आस-पास के लोगों में भी बहुत सारे doubt होते हैं। जब हम कोई काम करने जाते हैं, अक्सर हमे ये डाउट काम को करने से रोकते हैं। और अवसर हमारे पास से गुजर जाते हैं।
शंकाए और निराशावाद ज़्यादातर लोगो को ग़रीब रखते हैं। अमीर डैडी कहते हैं -निराशावादी आलोचना करते हैं , विजेता विश्लेषण करते हैं।
- आलस:
आलस सबको आता हैं।आलस कैसे दूर कर सकते हो इसके प्रैक्टिकल solution हमने आपको एक अलग पोस्ट में डिटेल में बताया हैं।
- बुरी आदत:
हमारे आदतें ही हमारें ज़िन्दगी का निर्माण करते हैं। हमे सफल बनने के लिए, अपने अंदर सफल आदतें डालनी ही पड़ेगी।
अमीर लोग सबसे पहले खुद को पैसा देते हैं। गरीब माइंडसेट के लोग पहले दुसरो को पैसा देते हैं।_ इसका मतलब ये हैं कि अमीर लोग सबसे पहले एसेट बनाने में फोकस करते हैं। आखिर में loan, bill वगैरा pay करते हैं। इससे अगर उनको पैसे चुकाते समय, पैसों की कमी महशुस होती हैं, तो यही प्रेसर उनको और ज़्यादा पैसा कमाने के तरीके ढूढ़ने के लिए मोटिवेट करते हैं।
- अहंकार:
अमीर डैडी कहते हैं – जब भी वे अहंकारी हुए थे, हर बार उन्होंने पैसे गवाये हैं। क्युकी उन्होंने सोचा था कि जो उनको पता नहीं हैं, वो महत्वपूर्ण नहीं हैं।
नॉलेज का नहीं होना बुरा नहीं हैं। नॉलेज नहीं होने को छुपाने के लिए ego का इस्तेमाल करना बुरा हैं।
जैसा कि स्कूल में मास्टर जी कुछ समझाता हैं। आपको वो कांसेप्ट समझमें नहीं आता हैं। फिर मास्टर जी आपको पूछता हैं कि – आपको समझमें आया हैं या नहीं ? आप अपने ego की वज़ह से, ताकि आपके फ्रेंड्स आपको वेवकूफ न समझें। आप समझमें आया हैं बोल देते हो। या बुरा हैं
सवाल करके आप 2 मिनट के लिए वेवकूफ बनते हो। मगर सवाल न करने की वज़ह से आप जिंदगी भर के लिए वेवकूफ बनते हो।
Conclusion
ये थे रिच डैड पुअर डैड बुक के कुछ Important Learnings. हमने आपको इस बुक के सिर्फ कुछ ही बातें बताई हैं। आपको recomand करना चाहता हूँ कि आप कम्पलीट बुक को ज़रूर पढ़ना। ये आपके Thought Process को चेंज कर देगा और आपकी जिंदगी को एक नई डायरेक्शन देगा।
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और इस बात का भी ध्यान रखना कि हर बातों को आपको पत्थर की लक़ीर नहीं मानना हैं। क्युकी कोई भी व्यक्ति जो बात कहते हैं, उसे एक standpoint से कहते हैं। हो सकता हैं अलग Standpoint से वो बात ग़लत हो। इसलिए आपको अपने दिमाग का भी इस्तेमाल करना चाहिए।
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